शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025

"गुड़ बनाम शक्कर: क्या सचमुच गुड़ स्वास्थ्यवर्धक है या यह भी सिर्फ एक मीठा भ्रम?"

"गुड़ बनाम शक्कर: क्या सचमुच गुड़ स्वास्थ्यवर्धक है या यह भी सिर्फ एक मीठा भ्रम?"

"Jaggery vs Sugar: Is Jaggery Really Healthier or Is It Just a Sweet Misconception?"

Source: Continental hospital  

गन्ने के रस से बने दो उत्पाद — शक्कर और गुड़ — के पोषक तत्व, निर्माण प्रक्रिया, कैलोरी मान, और उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव का वैज्ञानिक विश्लेषण।

Source: https://continentalhospitals.com/

चीनी ज़्यादातर रसोई में एक ज़रूरी चीज़ है, जो हमारे पसंदीदा खाने और पेय पदार्थों में मिठास भर देती है। लेकिन इतने सारे विकल्पों—सफेद चीनी, ब्राउन शुगर और गुड़—को देखते हुए, यह सोचना स्वाभाविक है कि इनमें से कौन सा सबसे स्वास्थ्यवर्धक है। हालाँकि ये तीनों ही मिठास के रूप हैं, लेकिन इनके प्रसंस्करण, पोषण मूल्य और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में अंतर होता है। आइए गहराई से जानें और जानें कि आपके स्वास्थ्य के लिए कौन सा विकल्प सबसे अच्छा है-

सफेद चीनी, जिसे परिष्कृत चीनी भी कहा जाता है, दुनिया भर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला स्वीटनर है। यह गन्ने या चुकंदर से बनाई जाती है, जिन्हें संसाधित करके चीनी निकाली जाती है। शोधन प्रक्रिया में अशुद्धियाँ और गुड़ निकल जाते हैं, और शुद्ध सुक्रोज़ बच जाता है। 

सफेद चीनी में कैलोरी की मात्रा ज़्यादा होती है, लेकिन इसमें विटामिन और खनिज जैसे ज़रूरी पोषक तत्व नहीं होते। एक चम्मच सफेद चीनी में लगभग 16 कैलोरी होती हैं और यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। हालाँकि, इसके ज़्यादा सेवन से वज़न बढ़ सकता है, इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, और मधुमेह व हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।

रक्त शर्करा में वृद्धि का कारण: चूंकि यह तेजी से अवशोषित होता है, इसलिए यह रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि और गिरावट का कारण बनता है। सफेद चीनी को अक्सर "खाली कैलोरी" कहा जाता है, क्योंकि यह कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं देती। अध्ययनों से पता चलता है कि अत्यधिक सफेद चीनी का सेवन मोटापे, मधुमेह और हृदय रोग से जुड़ा हुआ है। 

ब्राउन शुगर मूलतः सफेद चीनी होती है जिसमें गुड़ मिलाया जाता है। इससे इसका रंग थोड़ा गहरा, स्वाद ज़्यादा गाढ़ा और नमीदार हो जाता है। गुड़ की मात्रा के आधार पर ब्राउन शुगर हल्के और गहरे रंग में उपलब्ध होती है।

ब्राउन शुगर में सफेद चीनी जितनी ही कैलोरी होती है (प्रति चम्मच लगभग 16 कैलोरी), लेकिन इसमें गुड़ की मात्रा के कारण कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन जैसे खनिजों की थोड़ी मात्रा होती है। हालाँकि, ये पोषक तत्व बहुत कम मात्रा में मौजूद होते हैं और स्वास्थ्य के लिए कोई खास लाभ नहीं देते। गुड़ की उपस्थिति इसे सफेद चीनी की तुलना में थोड़ी पोषण संबंधी बढ़त देती है, लेकिन अंतर बहुत कम है। ब्राउन शुगर को सफेद चीनी की तरह ही संसाधित किया जाता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी समान होता है, जिसका अर्थ है कि यह रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है। हालांकि ब्राउन शुगर ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक नहीं है, लेकिन बेकिंग और खाना पकाने में इसके कैरमेल जैसे स्वाद के कारण इसे अक्सर पसंद किया जाता है।

गुड़, जिसे भारत में आमतौर पर "गुड़" के नाम से जाना जाता है, गन्ने के रस या ताड़ के रस से बना एक पारंपरिक अपरिष्कृत मीठा पदार्थ है। सफेद और भूरी चीनी के विपरीत, गुड़ को न्यूनतम प्रसंस्करण से गुजरना पड़ता है और इसमें रसायनों का उपयोग नहीं होता है। यह ठोस टुकड़ों, पाउडर या तरल रूप में उपलब्ध है। 

गुड़ को एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है क्योंकि इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे ज़रूरी खनिज होते हैं। एक चम्मच गुड़ में चीनी के बराबर लगभग 15-20 कैलोरी होती हैं, लेकिन यह कुछ पोषक तत्व भी प्रदान करता है। 

गुड़ आयरन का अच्छा स्रोत है, जो एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है। यह पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करके पाचन में सहायता करता है और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ लीवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और खनिज होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं। अब आप खुद से तय करें कि इन तीनों में से कौन सा हमारे लिए बेहतर है? 

इन तीनों मिठास के घटकों को समझने के बाद इसे हम एक साधारण से चाय के एक प्रयोग के रूप में समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिए कि चाय को कैरेमलाइजड शक्कर (caramelized sugar) से मीठा करें या सामान्य शक्कर से, तो क्या इसके स्वाद एवं गुणों में कोई ख़ास फ़र्क पड़ेगा? जबकि शक्कर या चीनी की प्रकृति (Nature) ही मिठास लाना है। आइए इसे भी हम शोधपरक रिपोर्ट के आधार पर यहाँ समझने का प्रयास करेंगे। 

क्या फ़र्क पड़ेगा?

अगर आप चाय में सीधा (घुला हुआ) साधारण चीनी मिलाते हैं तो वह मुख्यतः मीठा करता है और चाय के कड़वे/कैफ़ीन वाले भाव को दबा देता है। वहीं प्री-कारामेलाइज़्ड चीनी/ कारमेल-सिरप (यानि सूखा/गरम करके बनाए गए कारमेल के घटक) में सिर्फ़ मिठास नहीं, बल्कि टोस्टेड, टो ऑफ़ी-नट्टी, हल्का कड़वा और शरीरशील (mouthfeel) स्वाद भी जुड़ते हैं — यानी स्वाद का प्रोफ़ाइल बदल जाता है। 

(नीचे वैज्ञानिक कारण, सुरक्षा और प्रयोगात्मक सुझाव दिए गए हैं)। 


1) रासायनिक आधार — कारमेलाइज़ेशन vs साधारण चीनी

  • साधारण चीनी (sucrose) पानी में घुलकर अपनी मूल संरचना के साथ मीठा प्रदान करती है; ताप पर अलग-अलग घटकों (glucose, fructose) बन सकते हैं, पर सामान्यत: जब आप चीनी सीधे चाय में घोलते हैं तो कोई उच्च-ताप रासायनिक रूपांतरण नहीं होता। 

  • कारमेलाइज़ेशन एक उच्च-ताप (dry heat) गैर-एंज़ाइमैटिक ब्राउनिंग प्रक्रिया है: शुगर अणु टूटते हैं और अनेक नए वाष्पशील और नॉन-वाष्पशील यौगिक बनते हैं — ये यौगिक टोस्टेड, नट्टी, कारमेल-टाइप स्वाद और रंग देते हैं। कारमेलाइज़ेशन में sucrose पहले glucose + fructose बनता है और फिर अनेक जटिल प्रतिक्रियाएँ घटित होती हैं। 

  • ध्यान दें: यह प्रक्रिया सूखे/गर्म करने पर होती है — सिर्फ़ उबलते पानी (जैसे सीधे कप में चीनी घोलना) से वही रिएक्शन नहीं होगा। 


2) स्वाद पर क्या बदलता है — वैज्ञानिक निष्कर्ष

  • मीठास की तीव्रता: कारमेलाइज़ेशन से कुछ मूल शर्करा टूटकर अलग-अलग मोनोसैकराइड बनते हैं; इससे अपेक्षाकृत मिठास का perceived प्रोफ़ाइल बदल सकता है — कभी-कभी थोड़ी कम “सीधी” मिठास पर टोस्टेड/डार्क-स्वीट नोट्स बढ़ते हैं। 

  • कड़वाहट/बिटर्नेस पर प्रभाव: चीनी पानी में घुलने पर कैफ़ीन/बिटटर मॉलिक्यूल्स के साथ इंटरऐक्ट करके उनके स्वाद-प्रदर्शन को बदलती है — यानी साधारण चीनी भी कड़वाहट घटाती है। पर कारमेल के वॉलटाइल्स (toffee, furans, kleine amounts of bitter compounds) चाय के अरॉमा-बैलेंस को बदलकर एक अलग स्वाद-प्रोफ़ाइल देंगे — कुछ लोगों को “rich/complex” लग सकता है, कुछ को हल्का कड़वा। 


3) स्वास्थ्य/सुरक्षा के पहलू (संक्षेप)

  • ग्लाइसेमिक प्रभाव: कारमेलाइज़्ड चीनी मूलतः ही शुगर है — ग्लाइसेमिक प्रभाव बुनियादी तौर पर समान रहता है (अर्थात़ रक्त-शर्करा बढ़ेगा)। कारमेल कर देने से “कम खतरनाक” या कम-ग्लाइसेमिक नहीं बन जाता। 

  • ताप से बनने वाले संश्लेषित पदार्थ (HMF आदि): उच्च-ताप पर कारमेलाइज़ेशन और मैयार्ड-प्रकार की प्रतिक्रियाओं से HMF (5-hydroxymethylfurfural) और अन्य फ्यूरैनिक कम्पाउंड बन सकते हैं — ये मात्राएँ और प्रभाव ताप, समय, पानी की उपस्थिति और pH पर निर्भर करते हैं; सामान्य घरेलू मात्रा में जोखिम सीमित माना जाता है पर शोधपत्रों ने इन यौगिकों के संभावित जैविक प्रभावों पर नोट किया है। इसलिए लगातार और बहुत ज़्यादा उच्च-ताप पर तैयार किए गए कारमेल का सेवन अनावश्यक हो सकता है।


4) व्यावहारिक बातें — चाय में कारमेल कैसे (न)बनता

  • अगर आप सिर्फ़ कप में चीनी डालकर चाय बनाते हैं, वहाँ वास्तविक कारमेलाइज़ेशन नहीं होता, क्योंकि कारमेलाइज़ेशन को तेज़, सूखा-ताप चाहिए — न कि उबलते पानी। यानी कप में चीनी घोलने से आप caramel flavor नहीं बनाएँगे। पर आप पूर्व में तैयार किया हुआ कारमेल-सिरप या ब्राउन-शुगर/मोलैसिस जोड़ सकते हैं, जो चाय में टोफी/कारमेल नोट जोड़ देगा। 


5) प्रयोगात्मक सुझाव (घर पर छोटे टेस्ट करने के लिए)

एक छोटा-सा blind-taste test करें:

  1. तीन कप बनाइए (same tea, same strength, same ताप): A) Plain sugar 1 tsp, B) Caramel syrup 1 tsp (बाज़ार का या घर का), C) Brown sugar / jaggery 1 tsp.

  2. स्वाद-नोट्स लिखिए: sweetness intensity, aftertaste, body/mouthfeel, bitterness reduction, aroma.

  3. निर्णय: अगर आप “मिठास ही चाहती/चाहते” हैं → साधारण चीनी; अगर “rich/toasty taste” चाहिए → थोड़ी कारमेल/ब्राउन-शुगर।


6) संक्षेप-सिफारिशें

  • अगर उद्देश्य सिर्फ़ मीठा करना है: सामान्य चीनी (sucrose) सरल, सस्ती और predictable है।

  • अगर स्वाद में complexity, toffee/caramel नॉट्स चाहिए: प्री-कारमेलाइज़्ड शुगर (caramel syrup), ब्राउन शुगर, या थोड़ी मोलैसिस का प्रयोग करें — पर मात्रा कम रखें क्योंकि ये स्वाद जल्दी हावी हो जाते हैं। 

  • स्वास्थ्य-दृष्टि से: दोनों शर्करा हैं — मधुमेह जैसी स्थितियों में दोनों से सावधानी रखें; बार-बार अत्यधिक कारमेलाइज़्ड/उच्च-ताप प्रसंस्कृत चीनी से बनने वाले कुछ यौगिकों (जैसे HMF) के बारे में साहित्य सतर्क करता है। 


7) प्रमुख संदर्भ (शोध-आधारित लिंक)

  1. Food caramels: a review — G. Sengar et al. (caramel chemistry, properties).

  2. Caramelization — overview (mechanism: sucrose → glucose + fructose, flavor compounds). 

  3. How sugar changes the chemistry of tea — University of York work (sugar reduces perceived bitterness via molecular interactions). 

  4. Caramelization/ Maillard reaction and HMF formation — reviews and papers on heat-processing byproducts and safety. 

  5. The science behind cooking caramel — COMSOL blog (practical variables: temp, time, type of sugar). 


यहाँ गन्ने के रस से उत्पन्न शक्कर एवं गुण के बारे में संक्षेप में पहले ही समझ चुके हैं परंतु यदि विस्तार से समझने का प्रयास करें कि शक्कर और गुड़ में कितना अंतर है? जबकि दोनों में ही मिठास होती है बस उनका बनाने का तरीका अलग होता है। यह दोनों ही ग्लूकोस, सुकरोस एवं फ्रक्टोस से मिलकर बने होते हैं जो कि गन्ने के रस से निर्मित होते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों की स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगिता एवं इनका कैलोरीमान तथा इनके खाए जाने पर मिलने वाले पोशाक तत्वों की शोधपरक जानकारी को ठीक से समझते हैं।  

गन्ने के रस से बने शक्कर (Sugar) और गुड़ (Jaggery) में मिठास का मुख्य स्रोत तो sucrose, glucose और fructose ही हैं, परंतु प्रोसेसिंग, संरचना, खनिज और पोषक तत्वों के स्तर पर बड़ा फर्क आता है। आइए इसे शोधपरक ढंग से देखें:


1. निर्माण-प्रक्रिया में अंतर

  • शक्कर (Refined Sugar):

    • गन्ने का रस साफ़ करके, चूना (lime), सल्फर डाइऑक्साइड जैसे रसायनों से अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं।

    • फिर उसे क्रिस्टलाइज़ करके सफेद चीनी (sucrose crystals) तैयार होती है।

    • इस प्रक्रिया में लगभग सभी विटामिन, खनिज और फाइटोन्यूट्रिएंट्स नष्ट हो जाते हैं।

  • गुड़ (Jaggery):

    • गन्ने के रस को उबालकर और छानकर गाढ़ा किया जाता है।

    • इसमें कोई केमिकल bleaching/refining नहीं होता।

    • गुड़ में शुगर (सुक्रोज + ग्लूकोज + फ्रक्टोज) के साथ-साथ खनिज (लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम) और कुछ फाइटोकम्पाउंड्स भी बने रहते हैं।


2. कैलोरी और ऊर्जा-मूल्य (100 ग्राम पर)

घटक शक्कर (Refined Sugar) गुड़ (Jaggery)
ऊर्जा (कैलोरी) ~385–400 kcal ~370–380 kcal
कार्बोहाइड्रेट ~100 g (सिर्फ sucrose) ~90–95 g (sucrose + glucose + fructose)
प्रोटीन 0 g ~0.4 g
वसा 0 g ~0.1 g
फाइबर 0 g ~0.6–0.8 g
खनिज (मिनरल्स) नगण्य 0.6–1 g (iron, calcium, magnesium, potassium, phosphorus)

3. पोषक तत्वों में अंतर

  • शक्कर:

    • सिर्फ़ “empty calories” देती है।

    • कोई विटामिन या खनिज नहीं रहता।

  • गुड़:

    • Iron (4–6 mg/100 g) → रक्ताल्पता (anemia) में सहायक।

    • Calcium, Magnesium, Phosphorus हड्डियों और मांसपेशियों के लिए उपयोगी।

    • Potassium रक्तचाप नियंत्रित करने में मदद करता है।

    • Trace antioxidants शरीर में oxidative stress घटाने में सहायक।

    • आयुर्वेद में इसे "रक्तशुद्धि" और पाचन सुधारक माना जाता है।


4. स्वास्थ्य प्रभाव

  • शक्कर (Refined Sugar):

    • त्वरित ऊर्जा देता है परंतु ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI ~65) ज्यादा होने से रक्त-शर्करा तेजी से बढ़ाता है।

    • अधिक सेवन → मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप-2 डायबिटीज़, हृदय रोग।

    • कोई पोषण मूल्य नहीं, इसलिए "Empty Calories"

  • गुड़ (Jaggery):

    • ऊर्जा का स्रोत है, पर GI भी ऊँचा (GI ~60–70) होता है, यानी मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित विकल्प नहीं।

    • परंतु इसमें सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जो इसे शक्कर से थोड़ा “healthier” बनाते हैं।

    • सर्दियों में उपयोग → शरीर को गर्मी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पाचन सुधारने में मददगार।

    • Detox effect गुड़ को फेफड़ों और श्वसन तंत्र की सफाई में पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता है।


5. शोध-स्रोतों से प्रमाण

  • Nutritional comparison: Jaggery contains significant minerals (iron, calcium, magnesium, potassium) while refined sugar lacks them.

  • Health aspect: Excess intake of either leads to metabolic risks, but jaggery provides micronutrients and antioxidants.

  • Glycemic impact: Both raise blood glucose; jaggery is not safe for diabetics despite being “healthier” than sugar.


6. निष्कर्ष (संक्षेप में)

  • शक्कर:

    • सिर्फ़ मिठास और कैलोरी, कोई पोषण नहीं।

    • अत्यधिक सेवन हानिकारक।

  • गुड़:

    • मिठास के साथ-साथ सूक्ष्म खनिज और एंटीऑक्सीडेंट देता है।

    • शक्कर से बेहतर विकल्प है, पर “बहुत स्वास्थ्यवर्धक” समझकर असीमित सेवन नहीं करना चाहिए।

    • मधुमेह रोगियों को गुड़ और शक्कर दोनों ही सीमित/निषेध।


लेकिन देखा जाए तो गुड़ में भी पोषक तत्वों की मात्रा अत्यंत सीमित ही है, इसलिए ये कहना कि स्वास्थ्यवर्धक है, बिल्कुल ठीक नहीं है। फिर भी इनके बनाने के तरीके इनमें बहुत ज्यादा अंतर पैदा कर देते हैं परंतु इसे स्वास्थ्यवर्धक मानना वैज्ञानिक तौर पर सही नहीं होगा? – यही बारीक अंतर अक्सर लोगों को भ्रमित करता है।

1. पोषण-तत्वों की वास्तविक मात्रा

  • गुड़ में iron, calcium, magnesium, potassium जैसे खनिज तो पाए जाते हैं, लेकिन इनकी मात्रा 100 ग्राम पर कुछ मिलीग्राम ही होती है।

  • यानी यदि कोई व्यक्ति रोज़ 5–10 ग्राम गुड़ लेता है तो उससे मिलने वाले खनिज कुल दैनिक आवश्यकता का बहुत छोटा हिस्सा ही पूरा करते हैं।

  • इसलिए इसे “rich source of nutrients” कहना वैज्ञानिक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर कहना होगा।

2. “स्वास्थ्यवर्धक” बनाम “शक्कर से अपेक्षाकृत बेहतर”

  • शक्कर: पूरी तरह खाली कैलोरी (empty calories) है, इसमें कोई पोषक तत्व नहीं।

  • गुड़: कुछ पोषक तत्व हैं, जो इसे शक्कर से अपेक्षाकृत बेहतर विकल्प बनाते हैं, लेकिन

    • यह low GI food नहीं है,

    • न ही कोई महत्वपूर्ण विटामिन-खनिज सप्लीमेंट।

  • इसलिए कहना चाहिए:

    • “गुड़ शक्कर की तुलना में थोड़ा बेहतर है”

    • पर “गुड़ स्वास्थ्यवर्धक है” कहना अतिशयोक्ति और वैज्ञानिक दृष्टि से गलत होगा।

3. निर्माण-प्रक्रिया से पैदा हुआ अंतर

  • शक्कर का रिफाइनिंग सभी सूक्ष्म पोषक तत्व हटा देता है।

  • गुड़ कम प्रोसेसिंग के कारण trace minerals + antioxidants बचा लेता है।

  • यानी “health halo” केवल कम प्रोसेस्ड होने के कारण बनता है, न कि वास्तविक पोषण-समृद्धि से।

4. वैज्ञानिक सहमति

  • अधिकांश शोध यही बताते हैं कि:

    • गुड़ को sugar substitute के रूप में limited फायदा है।

    • इसे superfood या highly nutritious food मानना सही नहीं है।

    • मधुमेह, मोटापा और metabolic syndrome में दोनों ही (गुड़ और शक्कर) सीमित/निषेध हैं।


निष्कर्ष:

गुड़ और शक्कर दोनों का मुख्य स्वरूप सुक्रोज ही है, दोनों से लगभग समान कैलोरी व ग्लाइसेमिक लोड मिलता है। फर्क सिर्फ़ इतना है कि गुड़ में trace minerals और antioxidants बचे रहते हैं, जिससे इसे “थोड़ा बेहतर विकल्प” कहा जा सकता है, लेकिन इसे “स्वास्थ्यवर्धक” मान लेना वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है।

यह ठीक उसी प्रकार है जिस तरह से बीयर और शराब में अंतर किया जाता है। दोनों में ऐसा अंतर पेश किया जाता है कि बीयर सही है लेकिन शराब पीना हानिकारक है। जबकि दोनों में ही मूल पदार्थ ऐल्कहॉल ही है, जो कि हानिकारक है। यह सिर्फ मार्केटिंग रणनीति के अलावा कुछ और नजर नहीं आता है?

आइए इसे इन दोनों की तुलना के आधार पर समझने का प्रयास करते हैं।

1. मूल पदार्थ की समानता

  • गुड़ बनाम शक्कर → दोनों में मूल कार्बोहाइड्रेट सुक्रोज/फ्रक्टोज/ग्लूकोज है।

  • बीयर बनाम शराब (spirits) → दोनों में मूल सक्रिय पदार्थ एथेनॉल (alcohol) है।
    यानी स्वास्थ्य पर असर डालने वाला मुख्य एजेंट तो एक ही है।

2. अंतर कैसे दिखाया जाता है

  • गुड़ बनाम शक्कर: कहा जाता है कि गुड़ “स्वास्थ्यवर्धक” है क्योंकि उसमें trace minerals रहते हैं।

  • बीयर बनाम शराब: कहा जाता है कि बीयर “light” है क्योंकि इसमें अल्कोहल प्रतिशत कम है, साथ में कुछ विटामिन-B, antioxidants, और electrolytes भी मिल जाते हैं।

लेकिन —

  • गुड़ हो या शक्कर → ब्लड शुगर और कैलोरी दोनों बढ़ाते हैं।

  • बीयर हो या शराब → एथेनॉल ही लिवर और शरीर पर असर डालता है।

3. मार्केटिंग की भूमिका

  • कंपनियाँ या परंपरा यह दिखाना चाहती है कि “हमारा प्रोडक्ट ज़्यादा हेल्दी है” ताकि उपभोक्ता guilt-free उपयोग करें।

  • उदाहरण:

    • “Brown sugar is healthier than white sugar”

    • “Light beer is healthier than whiskey”

    • “Organic jaggery is a superfood”
      इनमें kernel of truth तो होता है (trace minerals, कम alcohol %), लेकिन सामान्य मात्रा और स्वास्थ्य प्रभाव के स्तर पर अंतर अक्सर मामूली ही होता है।

4. वैज्ञानिक दृष्टि से

  • शक्कर बनाम गुड़:

    • शक्कर = Empty calories

    • गुड़ = Empty calories + trace minerals

    • ✅ “Relative improvement” → गुड़ थोड़ा बेहतर,

    • ❌ “Absolute health benefit” → नहीं।

  • बीयर बनाम शराब:

    • बीयर = Low concentration alcohol + कुछ पोषक अंश

    • शराब/स्पिरिट्स = High concentration alcohol

    • ✅ बीयर की तुरंत intoxication और लिवर लोड थोड़ा कम,

    • ❌ लेकिन दीर्घकालिक नुकसान (लिवर, हृदय, addiction) दोनों से ही होते हैं।


✅ निष्कर्ष:

गुड़ और शक्कर दोनों ही गन्ने के रस से प्राप्त सुक्रोज, ग्लूकोज़ और फ्रक्टोज़ के स्रोत हैं।जहाँ शक्कर को रिफाइन कर सफेद क्रिस्टल के रूप में तैयार किया जाता है, वहीं गुड़ अपेक्षाकृत कम प्रोसेस्ड होता है और उसमें कुछ खनिज व सूक्ष्म पोषक तत्व बचे रहते हैं।

हालाँकि, वैज्ञानिक दृष्टि से दोनों ही कैलोरी स्रोत समान हैं — अधिक सेवन से मोटापा, मधुमेह, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है। इसलिए गुड़ को “स्वास्थ्यवर्धक” कहना सापेक्ष है — वह शक्कर से थोड़ा बेहतर विकल्प हो सकता है, पर पूरी तरह स्वास्थ्यवर्धक नहीं । WHO और ICMR दोनों अतिरिक्त शर्करा (added sugar) को दैनिक कैलोरी का अधिकतम 10% तक सीमित रखने की सलाह देते हैं। 

जैसे बीयर और शराब दोनों में मुख्य हानिकारक तत्व एक ही है (alcohol), वैसे ही गुड़ और शक्कर दोनों में मुख्य हानिकारक तत्व एक ही है (सुक्रोज)। अंतर है — मात्रा, प्रक्रिया और trace nutrients का, न कि मूल स्वास्थ्य-प्रभाव का। इसलिए “एक हानिकारक और एक स्वास्थ्यवर्धक” कहना ज़्यादातर मार्केटिंग नैरेटिव है, न कि ठोस वैज्ञानिक सत्य। 


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Sources / References:

  • ICMR-NIN (National Institute of Nutrition, Hyderabad) – Dietary Guidelines for Indians, 2020.

  • FAO/WHO Expert Consultation Report (2010) – Carbohydrates in Human Nutrition.

  • USDA FoodData Central (2022) – Nutritional Composition of Jaggery and Refined Sugar.

  • Journal of Food Science and Technology (Springer, 2019) – Comparative study of nutrient retention in traditional sweeteners.

  • NIH – National Library of Medicine (PubMed, 2017) – Glycemic impact of unrefined vs refined sugar sources.

  • FSSAI Reports (2021) – Sulphur dioxide and adulteration levels in Indian jaggery.

  • https://www.worldteanews.com/Features/how-sugar-changes-chemistry-tea?utm_source=chatgpt.com

  • https://www.ifst.org/lovefoodlovescience/resources/carbohydrates-caramelisation?utm_source=chatgpt.com

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  • https://en.wikipedia.org/wiki/Caramelization?utm_source=chatgpt.com

  • https://www.researchgate.net/publication/322187507_Caramelization_in_Foods_A_Food_Quality_and_Safety_Perspective?utm_source=chatgpt.com

  • https://www.wisdomlib.org/ingredients/caramelized?utm_source=chatgpt.com

  • https://home.sandiego.edu/~josephprovost/Carmalization%20and%20Maillard.pdf?utm_source=chatgpt.com

  • https://www.bonappetit.com/story/what-does-caramelized-mean?utm_source=chatgpt.com

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  • https://draft.blogger.com/blog/post/edit/1379212037785321196/9138617327643855416#

  • https://www.comsol.com/blogs/the-science-behind-cooking-caramel?utm_source=chatgpt.com

  • https://home.sandiego.edu/~josephprovost/Carmalization%20and%20Maillard.pdf?utm_source=chatgpt.com

  • https://draft.blogger.com/blog/post/edit/1379212037785321196/9138617327643855416#

  • https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC4152495/?utm_source=chatgpt.com



बुधवार, 22 अक्टूबर 2025

कोझिकोड के एक व्यक्ति की एक आँख की रोशनी चली गई, उसके प्रयोगों ने उसे शून्य प्रदूषण वाला चूल्हा दिलाया

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वी जयप्रकाश के 'ड्राई डाइजेस्टर', जिसका पहले ही पेटेंट हो चुका है, को स्वश्रय भारत 2025 में शीर्ष सात नवाचारों में चुना गया।


जेपी टेक की यूनिट में निर्माण कार्य जारी ईटीवी भारत )


कोझिकोड: एक आँख की रोशनी खोने के बावजूद, वी जयप्रकाश ने चूल्हे के साथ प्रयोग जारी रखा और आखिरकार एक ऐसी अभिनव तकनीक तैयार की जो धुएँ को आग में बदल देती है और जिससे प्रदूषण शून्य हो जाता है। उन्होंने अपने इस आविष्कार के लिए पेटेंट हासिल कर लिया है और अब उनके इस उत्पाद को हाल ही में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), कालीकट में आयोजित 'स्वाश्रय भारत 2025' में खूब सराहना मिली है।

स्वदेशी विज्ञान आंदोलन केरल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय नवाचार प्रतिष्ठान (एनआईएफ) भारत और एनआईटी कालीकट की संयुक्त पहल, स्वश्रय भारत ने 52 सामाजिक रूप से प्रासंगिक और नवीन आविष्कारों का प्रदर्शन किया। जयप्रकाश अपनी अवधारणाओं को प्रदर्शित करने के लिए चुने गए शीर्ष सात प्रस्तुतकर्ताओं में शामिल थे।

वी. जयप्रकाश (बाएं से दूसरे) को 'स्वश्रय भारत 2025' (ईटीवी भारत) में सम्मानित किया जा रहा है।

जयप्रकाश की प्रस्तुति का मुख्य विषय पर्यावरण के प्रति जागरूक ऊर्जा उपयोग और संरक्षण था। 'ड्राई डाइजेस्टर' नामक उनकी अपशिष्ट उपचार प्रणाली, प्रकृति या पर्यावरण को कोई नुकसान पहुँचाए बिना, खाद्य अपशिष्ट, डायपर और नैपकिन जैसी बेकार वस्तुओं को जलाकर नष्ट कर देती है। यह प्रणाली सार्वजनिक स्थानों पर खुले में कचरा जलाने या फेंकने की आम प्रथा का एक गैर-प्रदूषणकारी समाधान प्रदान करती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रणाली का दर्ज प्रदूषण स्तर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित मानकों से काफी कम पाया गया, जबकि इसकी दक्षता बीआईएस मानकों से कहीं अधिक थी।

जयप्रकाश ने अपने आविष्कार, 'पुकायुम थीयाकुम', एक पोर्टेबल स्टोव, के लिए 2022 में 20 साल का पेटेंट हासिल कर लिया है, जिसका पूरा खर्च एनआईएफ वहन करेगा। इस अवधि की समाप्ति पर, यह तकनीक भारत में सार्वजनिक संपत्ति बन जाएगी।

एक विनिर्माण इकाई के अंदर (ईटीवी भारत)

एनआईटी कालीकट के वरिष्ठ प्रोफेसर जी उन्नीकृष्णन ने ईटीवी भारत को बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य स्वदेशी भारतीय तकनीकों का विकास और विशेष रूप से छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाना था। जयप्रकाश की प्रस्तुति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह नवाचार समाज के लिए बेहद उपयोगी होगा। उन्नीकृष्णन ने अनछुए नवप्रवर्तकों की बुद्धिमत्ता और तकनीक के उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रदर्शनी में 4,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जो विज्ञान को जीवनशैली के रूप में अपनाने में बढ़ती जनरुचि को दर्शाता है।

स्कूल के दिनों से ही नवप्रवर्तक

'जेपी' के नाम से मशहूर जयप्रकाश केरल के कोझिकोड ज़िले के कोइलांडी के निवासी हैं। उनकी पत्नी रानी केरल उच्च न्यायालय में वकील हैं और उनके दो बच्चे हैं, तीर्थ और काव्या।

पिछले 27 सालों से, उन्होंने अपना जीवन कुशल चूल्हे की तकनीक की खोज में समर्पित कर दिया है। जयप्रकाश कहते हैं, "मेरी यात्रा स्कूल के दिनों में शुरू हुई थी, जब छुट्टियों में मैं अपनी माँ के साथ अपने पिता से मिलने जाता था, जो कोयंबटूर में काम करते थे। उस समय मेरी माँ मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल करती थीं। इस तकनीक से प्रभावित होकर, मैंने पाइप से धुआँ निकालने का एक प्रयोग किया। चूल्हे के साथ यह मेरा पहला प्रयोग था।"

जयप्रकाश (बाएं) अपनी टीम के साथ पर्यावरण अनुकूल चूल्हे के निर्माण और प्रचार के लिए समर्पित (ईटीवी भारत)

तब से, यह नए तरीकों और विधियों को आज़माने का एक सफ़र रहा है। पारंपरिक मिट्टी के चूल्हे पर एक साधारण प्रयोग के रूप में शुरू हुआ यह प्रयोग बाद में शून्य-प्रदूषण नवाचार में बदल गया।

इसके बाद एएनईआरटी (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी) के एक शिविर में प्रशिक्षण के बाद उन्हें गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।

पुरस्कार और प्रशंसा

एक दशक के स्व-वित्तपोषित प्रयोग के बाद, उनके आविष्कार को वर्ष की सबसे बड़ी सफलता माना गया, जिससे उन्हें 2008 में ऊर्जा संरक्षण के लिए राज्य पुरस्कार मिला, जिससे उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ गया। उनके नवाचारों को लगातार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, जिसमें 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा प्रदान किया गया एनआईएफ राष्ट्रीय पुरस्कार और उसके बाद 2017 और 2019 में पर्यावरण-अनुकूल अपशिष्ट निपटान में उनके योगदान के लिए प्राप्त राज्य पुरस्कार शामिल हैं। उनकी विशेषज्ञता का उपयोग भारत-पाक सीमा पर सैनिकों को धुआँ रहित चूल्हे बनाने का प्रशिक्षण देने और भारत-चीन क्षेत्र के लिए ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे डिज़ाइन करने में भी किया गया है।

अपने इनोवेशन के पास बैठे जयप्रकाश (ईटीवी भारत)

प्रयोगों के दौरान ही कोझिकोड में एक निर्माण परियोजना में उनकी दुर्घटना हो गई। डॉक्टरों ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आँखों की सर्जरी की सलाह दी और उन्हें अपनी दाहिनी आँख की रोशनी खोनी पड़ी। सर्जरी पूरी होने के बाद, वे काम पर लौट आए और अपने प्रयोग जारी रखे।

वर्तमान में, जयप्रकाश की जेपी टेक की कोयिलैंडी और कोयंबटूर में दो इकाइयाँ हैं। ये इकाइयाँ उनके अभिनव स्टोव के दो मॉडल बनाती हैं, जिनकी कीमत 6,000 रुपये और 7,000 रुपये है। कई दशकों की गारंटी और धुएँ से मुक्त संचालन के वादे के साथ, ये स्टोव अपनी कम बाहरी गर्मी, उच्च दक्षता और न्यूनतम ईंधन खपत और प्रदूषण के लिए जाने जाते हैं। एक बार जलने पर, पानी चार मिनट में गर्म हो जाता है। इसके अलावा, जलाऊ लकड़ी की बचत होती है और धुआँ न होने के कारण प्रदूषण भी कम होता है।

जयप्रकाश इसका श्रेय कोयम्बटूर के फलते-फूलते कुटीर उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र को देते हैं, जो घटकों के विनिर्माण का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करता है, जो उनके उद्यम को बढ़ाने में एक प्रमुख कारक है।

लेखक के बारे में

नोट: यह लेख मूल रूप से के. ससींध्रन, ईटीवी भारत इंग्लिश टीम द्वारा  22 अक्टूबर, 2025 अपराह्न 2:20 बजे IST प्रकाशित किया गया। इसका श्रेय मूल लेखक को ही है, हमारा उद्देश्य सिर्फ इस खबर को हिन्दी के पाठकों तक पहुंचाना है।  

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