गुरुवार, 24 जुलाई 2025

गिद्ध (Vultures) लाशों (Corpses or Dead bodies) को नहीं ढूंढते बल्कि लाशें गिद्धों को बुलाती हैं: डॉ. प्रदीप सोलंकी

गिद्ध लाशों को नहीं ढूंढते, बल्कि लाशें गिद्धों को बुलाती हैं: डॉ. प्रदीप सोलंकी

Vultures do not look for corpses, but corpses call vultures: Dr. Pradeep Solanki

सुनने में अजीब लग सकता है पर हाँ, यह सही है। सड़ती हुई लाश से निकलने वाले रसायन गिद्धों को बहुत आकर्षित करते हैं। सड़ती हुई लाश से निकलने वाले रसायन, जैसे कि एथिल मर्कैप्टन और अन्य वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs), गिद्धों को आकर्षित करते हैं क्योंकि उनकी गंध संवेदनशीलता बहुत तीव्र होती है। ये रसायन मृत शरीर के विघटन के दौरान उत्पन्न होते हैं, और गिद्ध इन्हें दूर से सूंघ सकते हैं।

खासकर गिद्धों को जानवरों का भेजा (Brain) बहुत पसंद होता है।

गिद्धों का दिमाग (brain) की ओर आकर्षण इसलिए हो सकता है क्योंकि यह उच्च पोषक तत्वों वाला हिस्सा होता है, जिसमें वसा और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं। गिद्धों की शारीरिक संरचना और पाचन तंत्र इस तरह विकसित हुए हैं कि वे सड़ते हुए मांस को आसानी से पचा सकते हैं, जो अन्य जानवरों के लिए हानिकारक हो सकता है।

ये एथिल मरकैप्टन क्या है और ये कैसे बनता है? लाशों से इनका क्या संबंध है?

आइये इसे हम बिंदुवार समझने का प्रयास करेंगे -

एथिल मर्कैप्टन (Ethyl Mercaptan)

एथिल मर्कैप्टन (C₂H₅SH), जिसे एथेनथियोल भी कहा जाता है, एक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक है। यह सल्फर युक्त यौगिक है, जिसकी गंध बहुत तीखी और अप्रिय होती है, जो सड़े हुए प्याज या गंधक जैसी होती है। यह गंध इतनी तेज होती है कि इसे मनुष्य और जानवर, जैसे गिद्ध, बहुत कम मात्रा में भी सूंघ सकते हैं। इसकी यह विशेषता इसे गिद्धों के लिए आकर्षक बनाती है।

एथिल मर्कैप्टन कैसे बनता है?

एथिल मर्कैप्टन मृत शरीर (लाश) के विघटन (decomposition) की प्रक्रिया के दौरान बनता है। जब कोई जानवर या इंसान मरता है, तो शरीर के ऊतकों (tissues) में मौजूद प्रोटीन और अन्य कार्बनिक पदार्थ बैक्टीरिया और एंजाइमों द्वारा टूटने लगते हैं। इस प्रक्रिया में बैक्टीरियल एवं रासायनिक प्रक्रिया के दौरान प्रोटीन टूटती है, जैसे कि -

प्रोटीन का विघटन: प्रोटीन, विशेष रूप से सल्फर युक्त अमीनो एसिड (जैसे सिस्टीन और मेथियोनीन), टूटकर सल्फर युक्त यौगिक बनाते हैं।

बैक्टीरियल क्रिया: एनारोबिक बैक्टीरिया (जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्य करते हैं) सल्फर युक्त यौगिकों को एथिल मर्कैप्टन जैसे थियोल्स में परिवर्तित करते हैं।

रासायनिक प्रतिक्रियाएँ: विघटन के दौरान मिथेन और सल्फर युक्त यौगिकों के संयोजन से एथिल मर्कैप्टन बनता है। यह प्रक्रिया खासकर सड़न के शुरुआती चरणों में तेजी से होती है।

लाशों से इसका क्या संबंध है?

लाशों के विघटन के दौरान एथिल मर्कैप्टन और अन्य वाष्पशील सल्फर यौगिकों का उत्सर्जन होता है, जो हवा में फैलकर एक विशिष्ट गंध पैदा करते हैं। गिद्धों की गंध संवेदनशीलता इतनी तीव्र होती है कि वे इन रसायनों को कई किलोमीटर दूर से भी पहचान लेते हैं। यह गंध गिद्धों को मृत शरीर की लोकेशन तक खींच लाती है। खासकर शुरुआती सड़न (putrefaction) के चरण में, जब ऊतक तेजी से टूटते हैं, एथिल मर्कैप्टन की मात्रा अधिक होती है, जो गिद्धों के लिए एक मजबूत संकेत (cue) का काम करती है।

अतिरिक्त जानकारी: क्या यह कहीं और भी उपयोग में आता है ?

एथिल मर्कैप्टन का उपयोग कृत्रिम रूप से भी किया जाता है, जैसे कि प्राकृतिक गैस (जो स्वाभाविक रूप से गंधहीन होती है) में गंध जोड़ने के लिए, ताकि गैस रिसाव का पता लगाया जा सके। आपके घर में जब भी कुकिंग गैस का रिसाव होता है, तब इसी की बदबू होती है। हमारे घरों में सप्लाई होने वाले गैस सिलेंडर में गैस रिसाव का पता लगाने के लिए एथिल मर्कैप्टन की कुछ मात्रा मिलायी जाती है

गिद्धों के अलावा, कुछ अन्य मांसाहारी या सड़नखोर जीव (scavengers) भी इस गंध की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन गिद्धों की सूंघने की क्षमता विशेष रूप से उन्नत होती है।

एथिल मर्कैप्टन का पारिस्थितिक प्रभाव

पारिस्थितिकी तंत्र में सड़नखोर जीवों की भूमिका:
एथिल मर्कैप्टन और अन्य सल्फर युक्त यौगिक, जो सड़न की प्रक्रिया में बनते हैं, पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण हैं। ये यौगिक सड़नखोर जीवों (scavengers) जैसे गिद्धों, सियारों, और कुछ कीड़ों को मृत शरीर की ओर आकर्षित करते हैं, जिससे मृत पदार्थ का तेजी से निपटान होता है। यह प्रक्रिया पर्यावरण को साफ रखने में मदद करती है, क्योंकि सड़ते हुए शरीर रोगजनक बैक्टीरिया, वायरस, और कवक (fungi) के प्रसार को फैला सकते हैं। गिद्ध जैसे जीव इन लाशों को खाकर बीमारी फैलने की संभावना को कम करते हैं। 
उदाहरण: गिद्धों का पाचन तंत्र इतना शक्तिशाली होता है कि वे हैजा, बोटुलिज्म, और अन्य रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है।

पोषक तत्वों का चक्रण:
सड़नखोर जीवों के माध्यम से एथिल मर्कैप्टन का उत्सर्जन सड़न की प्रक्रिया का हिस्सा है, जो पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस) को मिट्टी में वापस लौटाता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और पौधों के लिए पोषक तत्व (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस) उपलब्ध कराता है। कीड़े और सूक्ष्मजीव (microorganisms) सड़नखोरों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को और तेज करते हैं।

प्राकृतिक संकेतक:
यह रसायन गिद्धों जैसे सड़नखोरों के लिए एक प्राकृतिक संकेतक का काम करता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। बिना इन रसायनों के, सड़नखोरों को भोजन ढूंढने में कठिनाई हो सकती है, जिससे सड़न की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

मानव प्रभाव:
प्राकृतिक रूप से बनने वाला एथिल मर्कैप्टन पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है, लेकिन इसकी तीखी गंध मनुष्यों के लिए असुविधाजनक हो सकती है। साथ ही, कृत्रिम रूप से इसका उपयोग (जैसे गैस रिसाव का पता लगाने में) पर्यावरण में रासायनिक प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।

गिद्धों की शारीरिक संरचना
गिद्धों की शारीरिक संरचना उन्हें सड़नखोर (scavenger) के रूप में अत्यंत कुशल बनाती है, और एथिल मर्कैप्टन जैसे रसायनों को पहचानने में उनकी विशेषताएँ महत्वपूर्ण हैं:

गंध संवेदनशीलता:
गिद्धों की सूंघने की क्षमता असाधारण होती है। विशेष रूप से टर्की गिद्ध (Turkey Vulture: Cathartes aura) जैसे प्रजातियों में गंध ग्रंथि (olfactory bulb) अत्यधिक विकसित होती है, जो उन्हें एथिल मर्कैप्टन जैसी गंध को मीलों दूर से पहचानने में सक्षम बनाती है। उनकी नाक में विशेष संवेदी कोशिकाएँ होती हैं, जो सड़न के दौरान निकलने वाले वाष्पशील यौगिकों को पकड़ लेती हैं।

पाचन तंत्र:
गिद्धों का पाचन तंत्र अत्यंत शक्तिशाली होता है। गिद्धों का पेट अत्यंत अम्लीय होता है (pH 1-2) उनके पेट में मौजूद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एंजाइम सड़ते हुए मांस में मौजूद रोगजनक बैक्टीरिया (जैसे साल्मोनेला, क्लॉस्ट्रिडियम) को नष्ट कर देते हैं। यह उन्हें सड़ा हुआ मांस, जिसमें दिमाग (brain) जैसे उच्च वसा युक्त हिस्से शामिल हैं, खाने में सक्षम बनाता है। 

शारीरिक अनुकूलन:
गिद्धों का सिर गंजा होता है, जिससे मांस खाते समय बैक्टीरिया और गंदगी उनके सिर पर नहीं चिपकती। यह स्वच्छता बनाए रखने में मदद करता है। उनकी चोंच तेज और मजबूत होती है, जो मांस को आसानी से फाड़ सकती है, खासकर नरम ऊतकों जैसे दिमाग को।

उड़ान और दृष्टि:
गिद्ध ऊँचाई पर उड़ते समय थर्मल हवाओं का उपयोग करते हैं, जिससे वे कम ऊर्जा में लंबी दूरी तय कर सकते हैं। उनकी तेज दृष्टि मृत शरीर को देखने में मदद करती है, लेकिन गंध उनकी प्राथमिक खोज विधि है।

गिद्धों और एथिल मर्कैप्टन का संबंध
एथिल मर्कैप्टन गिद्धों के लिए एक रासायनिक संकेत (chemical cue) है, जो उन्हें मृत शरीर तक ले जाता है। यह गंध सड़न के पहले 24-48 घंटों में सबसे तीव्र होती है, जब विघटन की प्रक्रिया शुरू होती है। गिद्धों का दिमाग (brain) की ओर आकर्षण इसलिए हो सकता है क्योंकि यह हिस्सा वसा और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो उनकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है।

में यहाँ गिद्धों की प्रजातियों, उनके संरक्षण की स्थिति, और पर्यावरण में उनकी उल्लेखनीय भूमिका के बारे में भी बात करना चाहूँगा:

गिद्ध बड़े मांसभक्षी पक्षियों की 22 प्रजातियों में से एक है जो मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन्हें एक्सीपिट्रिफॉर्मिस क्रम के अंतर्गत एक्सीपिट्रिडे (पुरानी दुनिया के गिद्ध) और कैथार्टिडे (नई दुनिया के गिद्ध) परिवारों में वर्गीकृत किया गया है। नई दुनिया के गिद्धों की 7 प्रजातियों में शामिल हैं: कोंडोर्स, और 15 पुरानी दुनिया की प्रजातियों में शामिल हैंलैमर्जियर और ग्रिफ़ॉन गिद्ध। हालाँकि दोनों समूहों के कई सदस्य समान दिखते हैं, लेकिन वे केवल दूर से ही संबंधित हैं।

भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, उनमें से कई अब आवास के नुकसान और मवेशियों पर इस्तेमाल होने वाली डाइक्लोफेनाक नामक दवा के ज़हर जैसी समस्याओं के कारण लुप्तप्राय हैं। गिद्ध मृत पशुओं से होने वाली बीमारियों को फैलने से रोककर प्रकृति को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हालाँकि गिद्धों की बहुत सारी जानकारी सड़नखोर जीवों की भूमिका, पर्यावरण की स्वच्छता तथा पोषक तत्वों का चक्रण (Nutrient Recycling) के बारे में इस लेख में एथिल मर्कैप्टन के साथ साथ पहले ही जान चुके हैं फिर भी कुछ बातों को जानना जरुरी है  

पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन

सड़नखोर जीव खाद्य श्रृंखला (food chain) का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे शिकारियों (predators) द्वारा छोड़े गए अवशेषों को साफ करते हैं और प्राकृतिक संसाधनों का पुनर्चक्रण करते हैं। ये जीव अन्य सड़नखोरों और शिकारियों के बीच प्रतिस्पर्धा को भी नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, गिद्ध तेजी से मृत शरीर को खा लेते हैं, जिससे अन्य छोटे सड़नखोरों को भोजन के लिए इंतजार करना पड़ता है।

गंध के माध्यम से खोज
सड़नखोर जीव, जैसे गिद्ध, एथिल मर्कैप्टन जैसे वाष्पशील रसायनों की गंध का उपयोग करके मृत शरीरों का पता लगाते हैं। यह उनकी खोज प्रक्रिया को कुशल बनाता है, जिससे वे बड़े क्षेत्रों में फैले भोजन को ढूंढ सकते हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण में सड़न को तेजी से कम करती है, क्योंकि ये जीव मृत शरीर को जल्दी खा लेते हैं।

जैव विविधता में योगदान
सड़नखोर जीव विभिन्न प्रजातियों के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। उदाहरण के लिए, गिद्धों की उपस्थिति मृत शरीरों पर निर्भर अन्य छोटे सड़नखोरों, जैसे मक्खियों या चीटियों, की आबादी को नियंत्रित करती है। उनकी अनुपस्थिति से कुछ प्रजातियों की अत्यधिक वृद्धि हो सकती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर सकती है।

मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
सड़नखोर जीव, विशेष रूप से गिद्ध, मृत पशुओं को हटाकर पशुपालकों और किसानों को मृत शरीरों के निपटान की लागत से बचाते हैं। भारत जैसे देशों में, गिद्धों की संख्या में कमी (विशेषकर डाइक्लोफेनाक दवा के उपयोग के कारण) से आवारा कुत्तों और चूहों की आबादी बढ़ी, जिससे रेबीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया।

विशेष उदाहरण: गिद्धों की भूमिका
गिद्ध सड़नखोरों में सबसे कुशल माने जाते हैं। वे एक मृत शरीर को कुछ ही घंटों में साफ कर सकते हैं। उनकी तेज उड़ान और गंध संवेदनशीलता उन्हें बड़े क्षेत्रों में मृत शरीर ढूंढने में मदद करती है। भारत में गिद्धों की कमी ने पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला, जिसके बाद गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए।

चुनौतियाँ
सड़नखोर जीवों की आबादी पर खतरा बढ़ रहा है, जैसे कि गिद्धों पर कीटनाशकों, दवाओं (जैसे डाइक्लोफेनाक), और आवास नष्ट होने का प्रभाव। इनके संरक्षण की कमी से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन हो सकता है, जिससे सड़न की प्रक्रिया धीमी हो सकती है और रोग फैलने का खतरा बढ़ सकता है।

निष्कर्ष 

जीवविज्ञान का विद्यार्थी होने के नाते में सभी विद्यार्थिओं एवं आमजन को इसे पढने के लिए जरुर कहूँगा एथिल मर्कैप्टन, गिद्ध, और अपराध विज्ञान का शोधपरक एवं मानवीय महत्व है, क्योंकि एथिल मर्कैप्टन, एक तीखी गंध वाला रसायन तथा सड़न की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो गिद्धों जैसे सड़नखोर जीवों को मृत शरीरों की ओर आकर्षित करता है। यह शोधपरक अध्ययन न केवल जैविक और रासायनिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है, बल्कि अपराध विज्ञान में भी इसकी संभावित भूमिका को उजागर करता है। गिद्धों की असाधारण गंध संवेदनशीलता, जो एथिल मर्कैप्टन जैसे यौगिकों पर निर्भर करती है, फोरेंसिक विज्ञान में शवों की खोज और मृत्यु के समय के अनुमान को बेहतर बनाने में प्रेरणा दे सकती है। शोधपत्र, जैसे कि DeVault et al. (2004) और Vass (2012), इस बात को रेखांकित करते हैं कि सड़न के रसायनों और गिद्धों के व्यवहार का अध्ययन न केवल पारिस्थितिकी, बल्कि फोरेंसिक जांच में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

मानवीय दृष्टिकोण से, गिद्धों का संरक्षण और उनके पारिस्थितिक महत्व को समझना हमें पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता के प्रति जागरूक बनाता है। गिद्ध, जो सड़नखोर के रूप में पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं, मानव स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण में भी योगदान देते हैं। भारत जैसे देशों में डाइक्लोफेनाक दवा के कारण गिद्धों की घटती आबादी ने हमें उनके संरक्षण की आवश्यकता सिखाई है। संरक्षण तकनीकें, जैसे कैप्टिव ब्रीडिंग और वुल्चर सेफ जोन, न केवल गिद्धों को बचाने में मदद करती हैं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती हैं। यह विषय विद्यार्थियों को विज्ञान, पर्यावरण, और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संबंध को समझने के लिए प्रेरित करता है।

गिद्धों और एथिल मर्कैप्टन की कहानी एक आकर्षक उदाहरण है कि कैसे प्रकृति और विज्ञान मिलकर मानव जीवन को बेहतर बना सकते हैं। साथ ही, इस रसायन और गिद्धों के व्यवहार का अध्ययन अपराध विज्ञान में शवों की खोज और जांच को बेहतर बनाने की संभावनाएँ खोलता है। यह विषय विद्यार्थियों को रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, और फोरेंसिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में गहरी रुचि जगाता है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराता है। मुझे आशा है कि यह लेख विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करेगा। इस लेख को पढ़कर आप न केवल यह समझेंगे कि एक छोटा सा रसायन कैसे गिद्धों और अपराध जांच को जोड़ता है, बल्कि यह भी सीखेंगे कि प्रकृति के रहस्य वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से मानव समाज की मदद कैसे कर सकते हैं। यह आपको पर्यावरण संरक्षण, फोरेंसिक विज्ञान, और वैज्ञानिक खोजों में करियर की संभावनाओं के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करेगा। गिद्धों की कहानी पढ़ें और जानें कि कैसे प्रकृति और विज्ञान मिलकर एक स्वस्थ और सुरक्षित दुनिया बना सकते हैं!

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टिप्पणी:-

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लेखक:-

डॉ. प्रदीप सोलंकी 

 

"मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ।" - डेसकार्टेस 

विज्ञान शिक्षक, शिक्षाविद, प्राणिविद, पर्यावरणविद, ऐस्ट्रोनोमर, करिअर-काउन्सलर, ब्लॉगर, यूट्यूबर, एवं पूर्व सदस्य टीचर्स हैन्ड्बुक कमिटी सीएम राइज़ स्कूल्स एवं पीएम श्री स्कूल्स परियोजना तथा पर्यावरण शिक्षण समिति, माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल मध्यप्रदेश 



मंगलवार, 22 जुलाई 2025

क्वींस के छात्रों की नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम के साथ ISS से बातचीत: अंतरिक्ष अन्वेषण की एक यात्रा

क्वींस के छात्रों की नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम के साथ ISS से बातचीत: अंतरिक्ष अन्वेषण की एक यात्रा

"Students from Queens Connect with NASA Astronaut Jonny Kim Aboard the ISS: A Journey into Space Exploration"


Students in Queens speak with NASA astronaut Dr. Johnny Kim on the International Space Station. (Picture Source By Eyewitness News WABC logoFriday, July 18, 2025 10:41PM 
Website:-https://abc7ny.com/post/students-queens-talk-astronaut-dr-jonny-kim-live-international-space-station/17176691/
Website:- https://www.youtube.com/watch?v=asFIIR5kIAM

दरअसल जब भी टेलीविजन या Youtube पर अंतरिक्ष से जुड़ा कोई कार्यक्रम आता है तो सभी लोग उसे उत्सुकता से देखते हैं, ख़ासकर बच्चे तो तब तक आँखें गड़ाए रहते हैं जब तक कि प्रोग्राम समाप्त न हो जाये। लेकिन ये दिन बड़ा खास था, क्योंकि इस दिन अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर कुछ खास होने वाला था। वहीं धरती पर भी इसका प्रभाव महसूस होने वाला था, कारण था Astronaut के साथ स्कूल के बच्चों की सीधी बातचीत जिसका लाइव प्रसारण नासा के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था और इसमें बच्चों ने भी बड़े मासूम से एवं गहराई लिए प्रश्न पूछे, जिनके जबाब बड़ी बेबाकी से एस्ट्रोनॉट किम ने दिए

ऐसा पूरी दुनियां में प्रत्येक माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को भी ये मौका मिले, जिससे वे उन अंतरिक्ष यात्रियों से रूबरू हो जाएँ, जो पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर (248 मील) उपर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 28,163 किलोमीटर प्रति घंटे (17,500 मील प्रति घंटे) की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए शोध कार्यों में संलग्न हैं आईएसएस को अपनी कक्षा में बनाए रखने के लिए इस गति की आवश्यकता होती है गौरतलब है कि ISS पर एक दिन में वे 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं, क्योंकि आईएसएस हर 90 मिनट में पृथ्वी का चक्कर पूरा करता है। एक दिन में आईएसएस जितनी दूरी तय करता है, वह पृथ्वी से चंद्रमा तक की दूरी के बराबर है इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है, खासकर सुबह या शाम के समय, जब यह सूरज की रोशनी में चमकता है। आईएसएस में नवंबर 2000 से लगातार लगभग 06 अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहते हैं।

Picture Source; CivilsDaily

आईएसएस का निर्माण और सहयोग

आईएसएस को बनाने में दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर काम किया है। इसमें शामिल हैं:

इसके अलावा, ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) और इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) ने भी कुछ खास अनुबंधों के तहत इस परियोजना में योगदान दिया है। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग इसे एक अनूठा और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बनाता है।

क्वींस के छात्रों की नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम के साथ ISS से बातचीत

18 जुलाई, 2025 को, न्यूयॉर्क के क्वींस में न्यूयॉर्क हॉल ऑफ साइंस (NYSCI) में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब 100 से अधिक छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद नासा के अंतरिक्ष यात्री डॉ. जॉनी किम से लाइव बातचीत की। यह कार्यक्रम अमेरिकी प्रतिनिधि ग्रेस मेंग, नासा, और NYSCI द्वारा आयोजित किया गया था। जिसमें पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्रों ने अंतरिक्ष में जीवन, शोध, और डॉ. किम के प्रेरणादायक सफर के बारे में सवाल पूछे। यह कार्यक्रम उस अविस्मरणीय बातचीत और इसके महत्व को दर्शाता है, जो नासा के चंद्रमा और मंगल अन्वेषण के मिशन को प्रेरित करता है। हालाँकि इसके पहले भी उन्होंने बच्चों के जवाब दिए थेजिसकी लिंक ये है https://www.youtube.com/watch?v=oaGnqQEeyT0

कार्यक्रम का अवलोकन

यह अनोखा कार्यक्रम NYSCI में आयोजित किया गया, जिसमें कैंप्स ‘आर’ अस, समर राइजिंग (PS280Q), क्वींस कॉलेज, टाउनसेंड हैरिस हाई स्कूल, NYSCI, और क्वींस म्यूजियम के छात्र शामिल थे। इस पृथ्वी-से-अंतरिक्ष कॉल को नासा+ और नासा के यूट्यूब चैनल पर स्ट्रीम किया गया। इसका उद्देश्य था छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और गणित (STEM) में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करना। डॉ. किम, जो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत लंबी अवधि के मिशन पर ISS पर कार्यरत हैं, ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए और अंतरिक्ष अन्वेषण की दुनिया को उनके करीब लाया।

बातचीत का सार

छात्रों ने उत्साहपूर्वक डॉ. किम से ISS पर जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि अंतरिक्ष यात्री क्या खाते हैं, मेडिकल आपात स्थिति को कैसे संभालते हैं, और नींद का प्रबंधन कैसे करते हैं, क्योंकि ISS हर 24 घंटे में 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है। डॉ. किम ने बताया कि वे ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) का पालन करते हैं और विशेष रोशनी का उपयोग करते हैं।

महत्व और प्रभाव

यह कार्यक्रम केवल एक बातचीत से कहीं अधिक था। इसने क्वींस के छात्रों को STEM में करियर की संभावनाओं से परिचित कराया और नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के माध्यम से चंद्रमा और मंगल अन्वेषण के महत्व को रेखांकित किया। ग्रेस मेंग ने कहा, “मुझे आशा है कि एक दिन क्वींस का कोई छात्र अंतरिक्ष से NYSCI के ऑडिटोरियम में बात करेगा।” यह आयोजन स्थानीय समुदाय और वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण के बीच एक सेतु का काम करता है।

आगे क्या करें?

  1. नासा के नवीनतम अपडेट्स के लिए https://www.nasa.gov/subscribe पर सब्सक्राइब करें।
  2. अपने स्थानीय स्कूल या विज्ञान संग्रहालय में STEM अवसरों का पता लगाएं।
  3. इस आयोजन का वीडियो नासा+ या नासा के यूट्यूब चैनल पर देखें।

ISS पर वैज्ञानिकों के कार्यों एवं उनके रहने से सम्बंधित बच्चों की जिज्ञासा

जैसे ही मेंग ने एस्ट्रोनॉट किम से कहा कि बच्चे आपसे बात करने के लिए बेहद उत्सुक हैं और उन्होंने बहुत कठिन प्रश्न तैयार किये हैं, तब उन्होंने कहा कि यह मज़ेदार होगा। उसके बाद उनके बीच सवाल जवाब शुरू हो गए

मेरा ऐसा मानना है कि यदि आप यहाँ दिए गए प्रश्नों एवं उनके जवाबों को पढेंगे तो आपको बाल-मन की जिज्ञासाओं का भी बोध होगा। क्योंकि बच्चे प्रकृति में बहुत सी चीज़ों को न सिर्फ देखते हैं बल्कि महसूस भी करते हैं, वे हर चीज़ को समझना चाहते हैं, बशर्ते उन्हें मौका मिले। और यह मौका उन्हें सिर्फ विद्यालय में ही मिलता है और वहां उन्हें शिक्षक सारी बातें बताते हैं जो वे जानना चाहते हैं। हालाँकि अच्छा शिक्षक और बेहतर स्कूल मिलना पूरी दुनियां के लिए एक बड़ी चुनौती है

सवाल जवाब बड़े ही मज़ेदार एवं रोचक थे:

पहला सवाब जो बच्चे ने पूछा और कहा कि में 4th कक्षा में जा रहा हूँ और में जानना चाहता हूँ कि क्या आप हमेशा से अंतरिक्ष यात्री बनना चाहते थे ? आप उन लोगों को क्या सलाह देंगे जो अंतरिक्ष यात्री बनना चाहते हैं डॉ. किम ने अपनी व्यक्तिगत कहानी भी साझा की। उन्होंने कहा कि में हमेशा से अंतरिक्ष यात्री बनना नहीं चाहता था जब में बच्चा था तो यही सोचता था कि इस तरह की नौकरियां तो सुपर हीरो के लिए होती हैं, मेरे जैसे लोगों के लिए नहीं। लेकिन वर्षों तक कड़ी मेहनत और और खुद पर विश्वास रखने के बाद मुझे यह अहसास हुआ कि जब आप किसी चीज़ के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और रास्ते में असफल होने पर भी सहज रहते हैं, तो आप महान चीज़ें हांसिल कर सकते हैं। इसलिए मेरी सलाह यही है कि जिज्ञासु बने रहें, अपने शिक्षकों और माता-पिता की बात सुनें और कड़ी मेहनत करें

दूसरा सवाल आप चिकित्सक कैसे बने रहे ? और उसके बाद...

तीसरा सवाल 4th क्लास की ही काइली ने पूछा कि आप सबसे अच्छा अंतरिक्ष भोजन जो आपने खाया है, और आपको कौन सा खाना सबसे ज्यादा याद आता है? तो उन्होंने कहा कि मुझे सूसी, पिज़्ज़ा, और कोरियाई भोजन की बहुत याद आती है। अब तक मेने जो भी सबसे अच्छा भोजन खाया है वो वास्तव में केयर पैकेज में मिला है। तो हमें ये कार्गो मिशन मिलते हैं, जो आते हैं और वे हमें फिर से आपूर्ति करते हैं और हमें व्यक्तिगत वस्तुओं के लिए एक छोटी सी जगह मिलती है और मेरे दोस्तों और परिवार ने वास्तव में कुछ किमची और चावल और स्पैम भेज दिए हैं। इसलिए में किमची फ्राइड राइस बनाने में सक्षम था जो कि घर पर बनाए जाने वाले चावल जितना अच्छा तो नहीं था, लेकिन यहाँ होने के कारण काफी अच्छा था। और फिर...

चौथा सवाल 6th कक्षा के 11 वर्षीय सेबेस्टियन नवारो ने पूछा कि वे अंतरिक्ष में किस प्रकार का शोध/अनुसंधान करते हैं। डॉ. किम ने बताया कि वे माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर पर शोध कर रहे हैं, जैसे रक्तचाप मापना और अल्ट्रासाउंड द्वारा अंगों की प्रतिक्रिया का अध्ययन करना। यह शोध चंद्रमा और मंगल के लिए भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके बाद....

पांचवा सवाल 4th क्लास के लूका ने पूछा कि यदि आप अंतरिक्ष में बीमार पद जाएँ तो क्या होगा? उन्होंने जवाब दिया कि इसके लिए नासा की चिकित्सा इकाई किसी भी समय 24/7, 365 दिन उपलब्ध रहते हैं। इसलिए किसी भी आपातकालीन स्थिति में हम चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकते हैं। और हमारे चालक दल में भी मेडिकल ट्रेंड रहते हैं, जैसे कि में, तो समस्या नहीं आती बहुत सारी टीम वर्क योजना के साथ हम लगभग किसी भी मुद्दे का समाधान कर सकते हैं

यहाँ सूक्ष्मगुरुत्व में रहना बहुत मज़ेदार है। बहुत हल्का महसूस कर रहा हूँ और ये देखो मैं अपना माइक्रोफ़ोन छोड़ सकता हूँ और मैं यहां तक कि तैर भी सकता है, और यह बहुत मज़ेदार है। मुझे लगता कि में जब पृथ्वी पर वापस लौटूंगा तो यह उन चीज़ों में से एक है , जिसे में सबसे ज्यादा याद करूँगा

छटवां सवाल नमस्ते मैं जैक मैसी हूँ और 4th क्लास में जा रहा हूँ, मेरा प्रश्न है कि क्या अंतरिक्ष में रहने से आपकी नींद का चक्र बिगड़ जाता है ? उन्होंने कहा जैक ऐसा ही होता है जब आप पहली बार यहाँ आते हैं, तो हम बहुत तेज़ी से जा रहे होते हैं, 17500 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से। हम एक दिन में पृथ्वी की १६ बार परिक्रमा करते हैं, यानी कि 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त। इसलिए हमें अपने Circadian Rhythm (सर्केडियन लय) को आधार बनाने के लिए ग्रीनविच मीनटाइम का उपयोग करना होगा इस बाच हम यह बताने के लिए ग्रीनविच मीनटाइम का उपयोग करते हैं कि यहाँ क्या समय है ? लेकिन हमारे पास अन्दर विशेष रौशनी भी है, जिससे हम सुबह और शाम के समय को रोशनी के अनुसार समायोजन कर सकते हैं

सातवाँ सवाल अगले सवाल के रूप में ग्रेस ने कहा कि अंतरिक्ष में रहने का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा क्या है ? यह किसी दूर स्थान पर होने के सामान ही है जिसमें आप अपने परिवार, रिश्तेदार एवं दोस्तों से दूर सबको याद करते हो। आप जानते हैं कि मुझे अपने परिवार, बच्चों की याद आती है। और मेने कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी गँवा दी हैं, लेकिन सार्वजानिक सेवा का अर्थ यही है कि आप किसी ऐसी चीज़ के लिए त्याग करते हैं, जिसके बारे में आप मानते हैं कि वह अधिक अच्छे के लिए योगदान करेगी। और मैं इसके लिए तैयार हूँ

आठवां सवाल मैं एथन गेल हूँ और चौथी कक्षा (4th) में पढता हूँ। मेरा प्रश्न ये है कि पृथ्वी से 'अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक यात्रा में कितना समय लगता है ? एथन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के वाहन से जा रहे हैं, आप किस प्रकार की प्रोफाइल पर हैं मेरे लिए, मेने जिस रुसी सोयुज राकेट से यात्रा की, इसलिए यह लगभग 04 घंटे का था। और ISS पर जो क्रू 10 है उनका प्रोफाइल अलग था, उन्हें 28 घंटे लगे। अतः यह 04 घंटे जितना छोटा और 28 घंटे जितना लम्बा हो सकता है

नौवां सवाल के रूप में यह था कि आप ISS से पृथ्वी पर वापस कैसे आएंगे? जवाब था कि हम जिस अंतरिक्षयान से ISS पर आते हैं, वे ISS से तब तक जुड़े रहते हैं जब तक उनमें आने वाले चालक दल के सदस्य उन पर सवार रहते हैं। और ऐसा इसलिए है ताकि किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या परिस्थिति में हमारे पास पृथ्वी पर लौटने का रास्ता हो, और इस तरह हम वापस आ सकते हैं और जब हम Undock होकर वापस आते हैं तो हम एक विशिष्ट प्रकार का दहन करते हैं, जो हमारे यान/कैप्सूल की गति और वेग को धीमा कर देता है, और हम पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं

दसवां सवाल के रूप में उनसे पूछा गया कि आप वहां मनोरंजन कैसे करते हैं ? उनका कहना था कि यहाँ करने के लिए काफी सारी चीज़ें हैं, जैसे कि यान से बाहर पृथ्वी को देखना बड़ा मजेदार होता है। इसी तरह जब में घर में बच्चों को खाना खाते समय खेलने से मना करता था, लेकिन यहाँ आप देख रहे हैं कि में वही कर रहा हूँ, क्योंकि यहाँ हर चीज़ तैर रही होती है, यहाँ तक कि पानी भी बड़ी बूंद के रूप में तैर रहा है, जिसे मेने अभी गटक लिया है। यहाँ भोजन के साथ खेलना बड़ा ही मजेदार है

अगला सवाल यह था कि आप कहाँ और कैसे सोते हैं? मैं यह कहना चाहता हूँ कि में क्रू -क्वार्टर में रहता हूँ, हम इसे क्रू-क्वार्टर इसलिए कहते हैं कि यह कोठरी की तरह है। मैं कहूँगा कि इसका आकार वास्तव में एक फ़ोन बूथ के करीब है, फिर भी मुझे लगता है कि इसे सुनने वाले हर व्यक्ति को यह पता नहीं होगा कि फ़ोन बूथ दिखता कैसा है ? हमें बहुत ज्यादा जगह की जरुरत नहीं है, लेकिन इसमें वो हर चीज़ है जिसकी मुझे जरुरत है। मैं एक स्लीपिंग बैग में सोता हूँ जो दीवार से बंधा रहता है, क्योंकि मैं सोते समय बह जाना नहीं चाहता। लेकिन यह आरामदायक है। मेरे पास तकिया नहीं है, क्योंकि वो तैर जायेगा, लेकिन यह अंतरिक्ष में सोने वालों में से एक है, यह निश्चित रूप से अदित्वीय है

अगला सवाल पांचवी कक्षा के रोरी ने पूछा कि आप के अनुसार अन्तरिक्ष यात्री बनने के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा कौन थी ? उन्होंने बताया कि मेरे माता-पिता, जो कि दक्षिण कोरिया से आये थे ताकि उनके बच्चों को बेहतर जीवन मिल सके। इसलिए मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली एवं सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मैं अमेरिका में पैदा हुआ और मुझे सभी अवसर प्राप्त हुए। इसलिए में जब उस बलिदान के बारे में सोचता हूँ, तो यही बात मुझे सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करती है। हाँ निश्चित रूप से मेरे विकास के दौरान मेरे पास बहुत सारे मार्गदर्शक, शिक्षक और बहुत सारे लोग रहे हैं, जिन्होंने मुझ पर बहुत प्रभाव डाला है, और आज में जो सपना देख रहा हूँ, उसमें उन सभी का हाथ है

अगला सवाल मेरा प्रश्न यह है कि आपके लिए अन्तरिक्ष यात्री प्रशिक्षण कैसा था और सबसे चुनौतीपूर्ण क्या था ? उनका जवाब था कि यह प्रशिक्षण दो वर्षा का होता है, यह चुनौतीपूर्ण होने के साथ साथ विविधतापूर्ण होता है। और जब मैं इसके बारे में सोचता हूँ , तो मुझे लगता है कि सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा बहुत सारी अलग अलग चीजों में अच्छा बनने की कोशिश करना था। लेकिन साथ ही असफलता के साथ भी सहज रहना था। मेरा मानना है कि आप जो भी करने जा रहे हैं, उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप असफल होने के बाबजूद सहज रहें और अपनी सुविधा के दायरे से बाहर निकलकर काम करें। यही सबसे अच्छा तरीका है जिससे हम सीखते हैं और बेहतर बनते हैं

अगले प्रश्न में 4th Standard की जोइ (JOE) ने किम से पूछा कि "सूक्ष्म गुरुत्व वातावरण (Microgravity) में रहने पर कैसा महसूस होता है ? तब किम ने कहा Hi Joe ऐसा लगता है जैसे बादलों पर सर्फिंग कर रहे हों। हर चीज़ भारहीन लगती है, यहाँ पर सबसे भारी चीज़ों का वजन कुछ भी नहीं हैं। और इसमें हमारा शरीर भी शामिल है। और इससे मुझे अंतरिक्ष में तैरने जैसी रोचक चीज़ें करने का मौका मिलता है। और सूक्ष्मगुरुत्व में होने पर ऐसा ही महसूस होता है। (उन्होंने वहां तैरते हुए चारों और घूम कर दिखाया).

अगला प्रश्न क्लो (Chloe) का था कि 'आप पहले से ही जानते हैं कि आप अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी पर बापस कैसे आएंगे ? उन्होंने बताया कि जिन अंतरिक्ष यानों से हम आये थे, वे ISS में ही खड़े हैं, और इसलिए हम उसी रास्ते से वापस आएंगे, जिस रास्ते से हम यहाँ आये थे। जब जाने का समय आयेगा, जो मेरे लिए आठ महीने के मिशन के बाद दिसम्बर में होगा। मैं अपने क्रू साथियों के साथ सोयुज़ वाहन में जाऊंगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दबाब अच्छा रहे। हम अपने अंतरिक्ष सूट में हैं, और फिर हम एक विशेष प्रकार की प्रोफाइल बनाने जा रहे हैं जो हमारी गति को धीमा कर देगी और हमें पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लौटने में मदद करेगी। और फिर हम उतरेंगे और अपने मित्रों और परिवारों से पुनः मिलेंगे

अंत में बच्चों की टीचर ने पूछा कि "अपने वर्तमान मिशन से लौटने के बाद आपकी भविष्य की क्या योजनायें हैं? उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि "पहली चीज़ जो मैं करना चाहता हूँ, वह है अपने बच्चों को गले लगाना, अपनी पत्नी को गले लगाना और चूमना। कुछ स्वादिष्ट भोजन करना, और जब में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के साथ पुनः समायोजित होने का थोडा समय ले लूँगा, तो मैं अंतरिक्ष यात्रिओं की अगली कक्षा को अंतरिक्ष के लिए तैयार होने में मदद करने के लिए उत्सुक हूँ। और उसके बाद हमारे वर्तमान अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम में योगदान देना। यहाँ बहुत कुछ है, इस सार्वजानिक सेवा का हिस्सा बनना मेरे जीवन के सबसे बड़े सम्मानों में से एक है

Live Session or virtual रूप से सवाल जवाब के इस कार्यक्रम के अंत में उनका धन्यवाद ज्ञापित किया गया

नोट: वैसे तो इस लेख में सभी सवाल-जवाबों को सम्मिलित किया गया है और पूरी कोशिश की है कि इनकी भाषा और शब्द वही रहें, जो NASA के इस विडियो में दिखाए गए हैं। फिर भी कुछ प्रश्न हो सकता है छुट गए हों। मेरा सुझाव है कि बच्चों को एस्ट्रोनॉमी में रूचि जगाने के लिए पूरा विडियो जरुर देखें

निष्कर्ष

18 जुलाई, 2025 को न्यूयॉर्क के क्वींस में हुए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने न केवल छात्रों को अंतरिक्ष यात्री डॉ. जॉनी किम के साथ जोड़ा, बल्कि यह भी दिखाया कि अंतरिक्ष अन्वेषण का सपना हर बच्चे के लिए संभव है। और यह भी दिखाती है कि कैसे नासा की ये पहल अगली पीढ़ी को अंतरिक्ष की खोज के लिए प्रेरित कर रही है। 

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जीवन, माइक्रोग्रैविटी में शोध, और डॉ. किम की प्रेरणादायक कहानी ने यह साबित किया कि मेहनत और जुनून से आकाश की कोई सीमा नहीं। खगोल विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) सिर्फ तारों को देखना नहीं है—यह ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने, नई तकनीकों को विकसित करने, और मानवता को चंद्रमा व मंगल तक ले जाने की यात्रा है।

इसके आलावा मेरा मानना है कि उनको खुले आसमान की सैर अवश्य कराना चाहिए, जिससे वे आसमान में होने वाली हलचल को न सिर्फ देखें बल्कि महसूस भी कर सकें। इसके आलावा उनके लिए अच्छे साहित्य की जरूरत भी होती है, एस्ट्रोनॉमी की किताबें तथा जहाँ स्पेस गैलरी है वहां अवश्य घुमाने ले जाएँ 

में एक बार पुनः कहना चाहता हूँ कि बच्चों, अगर तारों को देखकर आपके मन में सवाल उठते हैं, तो उन सवालों को पकड़ो! स्थानीय विज्ञान संग्रहालयों में जाएं, नासा के यूट्यूब चैनल पर वीडियो देखें, या आसमान की किताबें पढ़ें। शायद एक दिन आप भी ISS से पृथ्वी पर बच्चों को अपने अंतरिक्ष रोमांच की कहानियां सुनाएंगे। 

नासा के आर्टेमिस मिशन और अन्य खगोलीय रोमांच के बारे में और जानने के लिए https://www.nasa.gov/subscribe पर सब्सक्राइब करें और अपने सपनों को उड़ान दें—क्योंकि ब्रह्मांड आपका इंतजार कर रहा है! 

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लेखक:-

डॉ. प्रदीप सोलंकी 

 

"मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ।" - डेसकार्टेस 

विज्ञान शिक्षक, शिक्षाविद, प्राणिविद, पर्यावरणविद, ऐस्ट्रोनोमर, करिअर-काउन्सलर, ब्लॉगर, यूट्यूबर, एवं पूर्व सदस्य टीचर्स हैन्ड्बुक कमिटी सीएम राइज़ स्कूल्स एवं पीएम श्री स्कूल्स परियोजना तथा पर्यावरण शिक्षण समिति, माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल मध्यप्रदेश 

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🔬 साइकेडेलिक्स: मस्तिष्क और प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच संवाद को पुनर्स्थापित करना साइलोसाइबिन जैसे साइकेडेलिक यौगिक एवं खाद्य पदार्थ