केंट होविंड ने एक चौंकाने वाला सच बताया, "सुबह 4 बजे पक्षियों का चहचहाना दरअसल पौधों को जगा रहा है।"
जिस व्यक्ति ने यह बात कही वह अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका नाम है केंट ई. होविंद, एक अमेरिकी ईसाई कट्टरपंथी प्रचारक और कर रक्षक हैं। वह युवा पृथ्वी सृजनवादी आंदोलन में एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, जिनका मंत्रालय बाइबिल में पाए गए उत्पत्ति निर्माण कथा की शाब्दिक व्याख्या के पक्ष में जीव विज्ञान, भूभौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक सिद्धांतों को नकारने पर केंद्रित है। इंटरनेट पर इनके बारे में काफी कुछ है और विकिपिडिया पर इनकी डिटेल्स बेहतर तरीके से जान सकते हैं। अंत में, और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमें यह समझना चाहिए कि होविंद विज्ञान के प्रति एक ऐसे दृष्टिकोण को अपना रहे हैं और उसे प्रभावी ढंग से व्यक्त कर रहे हैं जो न केवल सांस्कृतिक रूप से निहित है, बल्कि दार्शनिक रूप से सिद्धांतबद्ध भी है। उत्तर-आधुनिकतावादी दर्शन और विज्ञान अध्ययनों के भीतर एक पूरी परंपरा है जो "ज्ञानोदय विज्ञान" के प्रति एक निश्चित रूप से उभयनिष्ठ दृष्टिकोण रखती है। यह परंपरा विको और हर्डर से लेकर हाइडेगर और फ्रैंकफर्ट स्कूल से लेकर फौकॉल्ट तक फैली हुई है। बाद के सभी बहु-विविध कार्यों का केंद्रीय विषय चिकित्सा, कानूनी और राजनीतिक विज्ञानों द्वारा हमें प्रदान की गई झूठी मुक्ति है। अपने काम, द ऑर्डर ऑफ़ थिंग्स में , फौकॉल्ट लिखते हैं:
हम यह मानने के लिए प्रवृत्त हैं कि मनुष्य ने स्वयं से स्वयं को मुक्त कर लिया है, क्योंकि उसने यह खोज कर ली है कि वह न तो सृष्टि के केन्द्र में है, न ही अन्तरिक्ष के मध्य में है, और न ही शायद जीवन के शिखर और चरमोत्कर्ष पर है; लेकिन यद्यपि मनुष्य अब संसार के राज्य में संप्रभु नहीं है, यद्यपि वह अब अस्तित्व के केन्द्र में शासन नहीं करता है, फिर भी मानव विज्ञान खतरनाक मध्यस्थ हैं।
1. पक्षियों का चहचहाना और पौधों का परस्पर संबंध
- पक्षियों का सुबह जल्दी चहचहाना मुख्य रूप से संचार, प्रजनन और क्षेत्र चिह्नित करने से संबंधित है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया सूर्य के उगने से पहले शुरू होती है।
- कुछ अध्ययन संकेत देते हैं कि ध्वनि तरंगें (जैसे संगीत, कंपन या चहचहाने की आवाज़) पौधों की वृद्धि और विकास पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। यह प्रभाव पौधों के कोशिका विभाजन और एंजाइम गतिविधियों को उत्तेजित करने से जुड़ा हो सकता है।
2. ध्वनि का पौधों पर प्रभाव
- ध्वनि विज्ञान और पौधे: एक अध्ययन के अनुसार, ध्वनि तरंगें पौधों में जड़ वृद्धि, अंकुरण, और कुछ हार्मोन्स (जैसे ऑक्सिन) को सक्रिय कर सकती हैं।
- शोध उदाहरण:
- South China Agricultural University (2010) ने पाया कि संगीत और ध्वनि कंपन गेहूं की जड़ों और बीज अंकुरण को बढ़ावा दे सकते हैं।
- The Journal of Integrative Agriculture (2017) ने यह दावा किया कि ध्वनि कंपन पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकती हैं।
3. क्या पक्षियों का चहचहाना पौधों को "जगाता" है?
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पौधे प्रकाश की तीव्रता और अवधि (फोटोपीरियड) के आधार पर अपनी गतिविधियाँ नियंत्रित करते हैं।
- सुबह के समय सूर्य की रोशनी की तीव्रता जैसे-जैसे बढ़ती है, पौधे सक्रिय होते हैं (जैसे स्टोमाटा खुलना और प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया)।
- पक्षियों का चहचहाना पौधों पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि यह एक प्राकृतिक संकेत है कि दिन शुरू हो रहा है।
4. सीधे प्रभाव का प्रमाण
वर्तमान में ऐसा कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह स्थापित कर सके कि पक्षियों का चहचहाना पौधों को "जगाने" का कार्य करता है। यह दावा अधिक संभावना है कि ध्वनि तरंगों के अप्रत्यक्ष प्रभाव के साथ जुड़ा हो सकता है।
5. क्या यह सत्य है?
कुल मिलाकर, पक्षियों के चहचहाने और पौधों की गतिविधियों के बीच संबंध संभावित है, लेकिन इसे साबित करने के लिए अभी और गहन शोध की आवश्यकता है।
उदाहरण और संदर्भ
- Journal of Integrative Agriculture, 2017: ध्वनि कंपन और पौधों की वृद्धि।
- South China Agricultural University, 2010: संगीत का पौधों की जड़ों पर प्रभाव।
- Plant Communication: पौधों की प्रतिक्रियाएँ ध्वनि और पर्यावरणीय संकेतों पर।
पक्षियों का सुबह चहचहाना निश्चित रूप से पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे पौधों को जगाने के सीधे कारण के रूप में मानने से पहले वैज्ञानिक प्रमाणों की आवश्यकता है। यदि आप इस विषय पर गहराई से शोध करना चाहते हैं, तो कृषि ध्वनिकी (Agricultural Acoustics) और बायोम्यूजिकोलॉजी (Biomusicology) पर केंद्रित अध्ययन मददगार हो सकते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या Agricultural Acoustics और Biomusicology से सम्बंधित ऐसे कोई शोधपत्र हैं जो पक्षियों के चहचहाने का संबंध पौधों को जगाने या उनके स्टोमेटा के खुलने एवं बंद होने से संबंधित हो?
वर्तमान में, पक्षियों के चहचहाने और पौधों के स्टोमेटा (रंध्र) के खुलने या बंद होने के बीच सीधे संबंध पर केंद्रित शोध सीमित है। हालांकि, ध्वनि तरंगों का पौधों पर प्रभाव एक अध्ययन का विषय रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ शोधों में पाया गया है कि ध्वनि तरंगें पौधों की वृद्धि और विकास को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, इन अध्ययनों में स्टोमेटा की गतिविधियों पर ध्वनि के प्रभाव की विशेष रूप से जांच नहीं की गई है।
स्टोमेटा के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया मुख्य रूप से रक्षक कोशिकाओं की सक्रियता पर निर्भर करती है। जब ये कोशिकाएं स्फीत (टर्गिड) होती हैं, तो रंध्र खुलते हैं, और जब वे हौली (फ्लेसिड) होती हैं, तो रंध्र बंद हो जाते हैं। यह प्रक्रिया पौधों में जल संतुलन और गैस विनिमय के लिए महत्वपूर्ण है।
References:
Doubtnut: https://www.doubtnut.com
Wikipedia & Internet Websites